Thursday, June 19, 2008

विचार-धारा










मोहित मिश्रा

विचार-धारा
धान के बीज-सी होती है,
पड़ी रहकर
तर्क की जमीन पर
तोड़ती है आसमान को,
जड़ें बहुत गहरे
आस्था की मिट्टी में जमाती हैं,
यह आदमी की फितरत है
आदत है उसकी-
विश्वास करना और
आस्था रखना
किसी न किसी पर।

(मोहित फिलहाल आकाशवाणी इलाहाबाद से संबद्ध हैं.)

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