एक दुबली पतली कुतिया ने एक खूबसूरत पिल्ले को जन्म दिया। कुछ दिनों बाद वह बिना पूछे ही लोगों के घरों में आने-जाने लगा। लोग उसे तूह...तूह...कह पुचकारते, दुलारते लेकिन दहलीज के भीतर जाते ही दुरदुरा देते। किसी बच्चे का दूध जूठा कर देने पर मां ने पास रखा अद्धा दे मारा, वह कें...कें....कें...करता अपनी मां के पास चला गया। कुतिया ने बहुत चूमा-चाटा लेकिन घाव गहरा हो गया।
अब लोग दूर से ही नाक पर रुमाल रख उसे मार-मार भगाने लगे, अगरबत्तियां जलाने लगे। अब कहीं भी ठहरने की जगह उसके पास नहीं थी, शायद इसीलिए सड़क पर बीचोबीच ही दुबक कर सो रहा। अगले दिन सुबह जमादार ने अपनी नाक पर पट्टी बांधकर उसे कूड़ेदान में फेंक दिया।
फिर भी अारक्षण चाहिए
9 years ago
1 Comment:
ek satya, jo manushy ke asamvendansheelta ko dikhata hai, ko mukhar kerne ke liye dhanywaad.
lekin aap lagta hai varshon se likh nahi rahe hain. achcha likhet hain, jaari rakhiye.
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